दयानंद एंग्लो-वैदिक कॉलेज से पढ़ाई की और अपनी स्नातक की डिग्री ली। इस समय वह जांलधर पंजाब से लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी से पढ़ाई कर रहे हैं।
नीरज चोपड़ा के पांच प्रयासों में से चौथा प्रयास रहा फाउल
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भाला छोड़ने से पहले खिलाड़ी रनवे नहीं छोड़ सकता, न ही पीछे मुड़ कर देख सकता है ।
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# इनका जजन्म हरियाणा के पानीपत के पास खंडरा में एक किसान सतीश कुमार चोपड़ा के परिवार में हुआ था।
नीरज चोपड़ा, एक आम लड़के से विश्व स्तरीय एथलीट बनने तक का सफर
नीरज चोपड़ा का ओलिंपिक का सफ़र – नीरज चोपड़ा ने हर बार देश के लिए मेडल अपनी झोली में डाला है ,फिर चाहे वो एशियाई गेम्स हो , कॉमनवेल्थ गेम्स या फिर पोल्लैंड में हुई चैंपियनशिप। इस बार भी जब वो ओलिंपिक के लिए गए तो देश को उनसे बहुत सारी उम्मीदें थी।
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नीरज चोपड़ा की माता का नाम सरोज देवी और उनके पिता का नाम सतीश कुमार है। नीरज चोपड़ा की दो बहन भी हैं।
नीरज चोपड़ा मिल्खा सिंह कृष्णा पूनिया और विकास गौड़ा के बाद राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाले चौथे भारतीय व्यक्ति हैं।
चेक रिपब्लिक के एक रिटायर्ड ट्रैक और फील्ड एथलीट जेन जेलेंज़ी के यूट्यूब वीडियोस को देखकर इनमें भाला फेंक के लिए जुनून भर गया।
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नीरज चोपड़ा एशियाई गेम्स में गोल्ड हासिल करने वाले पहले भारतीय खिलाड़ी है ,उनसे पहले ये कारनामा किसी ने नही किया। इसके अलावा किसी कैलेंडर वर्ष में एशियाई और कामनवेल्थ में गोल्ड हासिल करने वाले वो एशिया के दूसरे खिलाड़ी है। इससे पहले धावक मिल्खा सिंह ने इस कीर्तिमान को स्थापित किया था।